टॉप 17+ Kanha Kamboj Shayari | कान्हा कंबोज की शायरी और बेहतरीन पोइट्री !!

नमस्कर मेरा नाम है Jitendra (J.K) स्वागत है Yadavjitendra7 Blog मे और आज की इस पोस्ट ”Kanha Kamboj Shayari” मे आपको Kanha Kamboj की 17 Best Shayari देने वाले हैं ।

जैसा की हमने पिछले पोस्ट मे “ गूंज चांद की बेहतरीन शायरी और Munawar Faruqui Shayari” को आप तक पहुंचाया था । उसी तरह आपको इस लेख मे Kanha Kamboj की बेबफा प्यार वाली शायरी और एक तरफा प्यार तथा मुहब्बत की बेहतरीन पोइट्री पढ़ने को मिलने वाली हैं।

Kanha Kamboj के द्वारा लिखी शायरी को और उनके शायरी कहने के अंदाज को लोगों के द्वारा बहुत पसंद किया है । उनके विडिओ को यूट्यूब पर देखने वालों की संख्या मिलिऑन मे होती है । इंटरनेट पर viral रही ये कान्हा कंबोज की पहली शायरी ।

Kanha Kamboj Shayari

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01

 

माना कि हम अदब से बात नहीं करते

मगर यह मानो मतलब से बात नहीं करते

यह नर्म लहजा, प्यारी बातें तेरे लिए हैं

हम इस लहजे में सबसे बात नहीं करते

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02

तू हर दफा अपनी चला बस कर मुझे सबसे ज्यादा ये खला बस कर

चीखते रहे तेरा नाम तूने ना सुना फिर चीख उठा मेरा गला बस कर

हम तो जलाते थे तेरे घर में चराग तू हमारा घर तो ना जला बस कर

मैं बुरा, बेहया, बेरहम, बे गैरत और कुछ न कह अब भला बस कर

 

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03

ये कैसा सितम था उसका ,

कुछ पलों की मोहब्बत के लिए

मुझे सालो आजमाया गया

उन्होंने पहले मेरी फासी मुकरर कर दी ,

अदालत मुझे बाद में ले जाया गया !

 

Kanha Kamboj Shayari
Kanha Kamboj Shayari

 

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04

कुछ तो जला होगा यू बेवजह धुआँ तो न हुआ होगा

जिसे डरते थे ख्वाब में देखने को भी

वो हादसा हकीकत में कैसे हुआ होगा और

मेरे हाथ कांपते हैं उसकी तस्वीर को छूते हुए,

ऐ दोस्त ! वो गैर के साथ हमबिस्तर कैसे हुआ होगा?

हो के हमबिस्तर ग़ैर से इठला के जो तू आ रही है,

दूर चली जा मुझसे, तुझसे रकीब की बू आ रही है।

 

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05

सारी रात उसे छूने से डरता रहा,

मैं बेबस,‌ बेचैन बस करवटें बदलता रहा,

और हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में,

बस बात यह है ज़िक्र किसी और का चलता रहा।

 

Kanha Kamboj Shayari
Kanha Kamboj Shayari

 

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06

बेवफाई की सारी हदें वो पार कर चुकी होगी,

अपने बदन की आबरू को तार-तार कर चुकी होगी,

मेरे अलावा किसी और के साथ हमबिस्तर हो कर

वो यह कमाल कर रही होगी,

और यह किसकी उंगलियां है तेरे जिस्म पर?

उसके बिस्तर की चादर भी उससे सवाल कर रही होगी।

 

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07

तूने रिश्ता तोड़ा है मजबूरी होगी मैं मानता हूं,

मुझे तो निभाने दे मैं तुझसे भला क्या मांगता हूं,

और दर्द में देख कर तू मुझे मुस्कुरा रही है,

और मैं कितना पागल हूं, तू हंसती रहे यही दुआ मांगता हूं।

 

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08

तेरी हर हक़ीक़त से रूबरू हो गया हूं मैं,

ये पर्दा किस बात का कर रही है?

इक मैं हूं आंखों से आंसू नहीं रुक रहे,

इक तू है हंस के बात कर रही है।

 

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09

जो कभी ज़हन तक में तसलीम था

वो नज़रों तक से गिर गया है,

वो बता रहा है हद में रहो,

जो अपनी हद से गुज़र गया है।

Kanha Kamboj Shayari
Kanha Kamboj Shayari

 

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10

वक़्त ज़ाया ना कर मेरे किरदार को पहचानने में,

तू ख़ुद एक कहानी बन जाएगा मेरी हक़ीक़त जानने में,

और चल दिए बेपरवाह देखने गहराई मेरे दर्द की,

इतना गहरा हूं कि ज़माना निकल जाएगा मेरी गहराई नापने में।

 

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11

ख़ामोशी का अपना मज़ा है लफ़्ज़ कोई बहरा नहीं होता,

तेरी आंखों पर काजल की गिरफ्त तो ठीक थी,

ये आंसुओं का पहरा नहीं देखा जाता,

अपने हिस्से की खुशियां मैं लुटा दूं तुझ पर,

तेरा उतरा हुआ चेहरा नहीं देखा जाता।

 

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12

हिफाज़त दुश्मनों से तो कर लेते

कोई अपना दुश्मनी पर उतर गया है,

मेरे हक़ में जो दलीलें थीं फ़िज़ूल हैं अब,

मेरा गवाह, गवाही देने से मुकर गया है।

Kanha Kamboj Shayari
Kanha Kamboj Shayari

 

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13

मुझपे घर की भी जिम्मेदारियां है

हम तो मजनू जैसा भी हाल नहीं कर सकते

दुःख तो बहुत है तेरे आशिकों के

मगर मसला ये भी है की हड़ताल नहीं कर सकते !!

 

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14

तू जरूरी है हर जरूरत को आजमाने के बाद

तू चलाना मर्जी अपनी मेरे मर जाने के बाद

है सितम ये भी कि हम उसे चाहते हैं

वो भी इतना सितम ढाने के बाद

हो इजाजत तो तुझे छूकर देखूं

सुना है मरते नहीं तुझे हाथ लगाने के बाद

वो रास्ते में मिली तो मुस्कुरा दिया देखकर

बहुत रोया मगर घर जाने के बाद

है तौहीन मेरी जो तुम कर रही हो

आवाज उठाई नहीं जाती सर झुकाने के बाद

कितनी पागल है मुझे मेरे नाम से पुकार लिया

मुझे पहचानने से मुकर जाने के बाद

मुझसे मिलने आओगी ये वादा करो

मुलाकात रकीब से हो जाने के बाद

वैसे हो बड़े बदतमीज तुम कान्हा

किसी ने कहा अपनी हद से गुजर जाने के बाद

तेरी हर हकीकत से रूबरू हो गया हूं मैं

ये पर्दा किस बात का कर रही है

एक मैं हूं आंखों से आंसू नहीं रुक रहे

एक तू है कि हंस के बात कर रही है

लहजे में मुआफ़ी, आँखों में शर्म तक नहीं

ये एक्टिंग का कोर्स तू लाजवाब कर रही है

सारी रात उसे छूने से डरता रहा

मैं बेबस, बेचैन बस करवटें बदलता रहा

हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में

बस बात ये है कि जिक्र किसी और करता रहा

गिरा ले मुझे अपनी नजरों से कितना ही

झुकने पर तो मजबूर मैं तुझे भी कर दूंगा

एक बार बदनाम करके तो देख मुझे महफ़िल में

कसम से शहर में मशहूर मैं तुझे भी कर दूंगा

कहती है तुमसे ज्यादा प्यार करता है

उसकी इतनी औकात है क्या?

रकीब का सहारा लेकर कान्हा को बुला दूंगी

तेरा दिमाग खराब है क्या?

कान्हा कंबोज की शायरी को विडिओ मे देखें !

 

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15

कि अब बस तुझे भूलने के लिए याद करता हूं

कुछ हद तक अपनी आदतों से सुधर रहा हूं मैं

जानता हूं तूने बदल लिया है शहर अपना

फिर भी तेरी गली से गुजर रहा हूं मैं

तू खिड़की पे नहीं फिर भी गुलाब फेंक आया

ये किस बेशर्मी पे उतर रहा हूं मैं

एक उम्र कटी है रहीसी में साथ तेरे

बिन तेरे जिंदगी मुफलिसी में बसर कर रहा हूं मैं

मिल गया है महबूब हूबहू तेरे जैसा

लबों से लगाकर जहर उसका,

तेरे जहर को बेअसर कर रहा हूं मैं

मेरी नजर से देख किस नजर से देखता था

नजरें अपनी तुझे नज़्र कर रहा हूं मैं

जो आस्तीन में खंजर है उतार देना मेरे सीने में

तुझे बेवफा कहके गलती कोई अगर कर रहा हूं मैं

अब क्यों हैरानी रखती हो मेरे लहजे में

मोहतरमा तुम्हारी ही तो नकल कर रहा हूं मैं।

अपने किरदार को पहचान मेरे लफ्जों में

अब अपनी कहानी को ग़ज़ल कर रहा हूं मैं

मेरी नजर उससे हटने पर जो उठी वो नजर याद है

पूरे बगीचे की खूबसूरती मेरे जहन में नहीं,

जिस छांव में बैठ उसे निहार रहा था वो शजर याद है

और ऐसी याददाश्त का तुम क्या करोगे ‘कान्हा’

खुद पर लिखे दो शेर याद नहीं,

उस पर लिखी पूरी ग़ज़ल याद है !

कान्हा कंबोज की शायरी को विडिओ मे देखें !

 

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16

बदन के निशान बताए गए जख्म पुराने

मोहतरमा नजर कमजोर कहां मेरी

इतनी याददाश्त रही है

गैर के साथ भीगती रही रात भर बड़ी बेबस वो बरसात रही है

कुछ अश्क बाकी रह गया तेरा मुझमें

वरना कब किसी की इतनी

कही बर्दाश्त रही है

बात मुझे मत बता क्या बात रही है

रह साथ उसके, साथ जिसके रात रही है

ज़रा भी ना हिचकिचायी होते हुए बेआबरू,

बता तेरे जिस्म से और कितनों की मुलाकात रही है

 

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17

है बोतल मय की और धुआँ रक्खा है

हमने कमरे को यार सजा रक्खा है

अँधेरा बेबसी तन्हाई बैचेनी वगैरह

तेरी याद ने पूरा माहौल बना रक्खा है

जब पुकारना हो मुझे मेरा नाम भूल जाता है,

उसे इश्क़ तो आता है पर करना भूल जाता है,

और उसे कह दो के यूं मुस्कुरा के ना देखे मुझे,

ये दिल पागल है धड़कना भूल जाता है।

Kanha Kamboj Shayari
Kanha Kamboj Shayari

 

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FAQs

 

Q 1. Kanha Kamboj कौन हैं ?

Ans-  Munawar Faruqui एक बहुत अच्छे शायर और poetry लेखक हैं ।

Q 2.  Kanha Kamboj  की उम्र कितनी है?

Ans- 31 बर्ष ।

Q 3.  Kanha Kamboj के इंस्टाग्राम पेज का नाम ?

Ans- KanhaKamboj

Q 4.  Kanha Kamboj की आवाज कैसी है?

Ans- Kanha Kamboj की आवाज और इनकी शायरी कहने के अंदाज के लोग दीवाने हैं ।

 

अंतिम शव्द –

मुझे पूरी उम्मीद है की आपको मेरे द्वारा यह लेख “ Kanha Kamboj Shayari पसंद आया होगा। मेरी यही कोशिश है की पाठकों को संबंधित विषय में अच्छी पोइट्री वाले Kanha Kamboj की बेहतरीन शायरी प्रदान कर सकें ।

आखिर तक जुड़े रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

यदि आपको भी अपना लिखा कुछ पोस्ट करवाना है तो हमारे इंस्टा पेज पर भेज सकते हैं – @yadavjitendra7

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