Amrita pritam biography in hindi (अमृता प्रीतम कौन थीं ? इनका जन्म कहाँ हुआ? , अमृता प्रीतम का जीवन परिचय , आयु, जन्म स्थान, जन्म तारीख, कॉलेज, प्रोफेशन, राष्ट्रीयता, सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म )
नमस्कार , साथियों आज हम लोग एक ऐसी लेखिका के जीवन के बारे मे बात करने वाले हैं जो गुजरे जमाने की सबसे महशूर , मकबूल , मारुफ़ शायरा एक प्रोग्रेसिव और बोल्ड औरत जो हम जैसे करोड़ों लोगों के लिए और खास कर औरतो के लिए एक रोल मॉडल बनके जिंदा हैं ।
हम सब की प्रेरणा और दिलों की धड़कन बनकर रह रहीं अमृता और इमरोज़ के प्रेम पत्र जब आप पढ़ेंगे तो आपकी मुहब्बत, रिश्ते, और जिंदगी के ख्यालों का शायद गंगास्नान हो जाए ।
Amrita Pritam Biography In Hindi : एक बार जब अमृता जी ने इमरोज़ के साथ स्कूटर पर बैठे बैठे उनकी पीठ पर साहिर का नाम लिख दिया और जबाब मे जब इमरोज़ ने कुछ भी नहीं कहा । तो अमृता ने पूछ ही लिया की क्या तुम्हें इस बात का कोई बुरा नहीं लगा । तो उन्होंने कहा साहिर भी तुम्हारे मेरी पीठ भी तुम्हारी फिर बहाल मैं किस बात का बुरा मानूँ ।
अमृता जी कहती थी की मिलने की चाह हो तो वक्त के परे प्रेरणा बनके, नजर या अक्स बनकर, खुशबू , यादें, अश्रु बनकर भी आप फिर मिल सकते हैं । और ये सिर्फ प्यार ही करवा सकता है । मैं मानता हूँ जिन शब्दों से अमृता जी ने प्रेम को पिरोया है शायद ही कोई दूसरा कर पाए ।
यह एक शाप है , या एक वर है
और जहां भी आजाद रूह की झलक पड़े , समझना लेना मेरा घर है
– अमृता प्रीतम
इस लेख के माध्यम से अमृता प्रीतम के जीवन परिचय (Amrita pritam biography in hindi) से जुड़ी तमाम बातों से रूबरू होंगे । इस पोस्ट मे आगे आपको जानने को मिलेगा साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की कहानी क्या है? और साहिर लुधियानवी का अमृता जी के जीवन मे क्या किरदार है को जानने के लिए पोस्ट के अंत तक हमारे साथ जुड़े रहें ।
Amrita Pritam Biography In Hindi | अमृता प्रीतम जीवनी
नाम (Name) | अमृता प्रीतम (Amrita pritam) |
जन्म (Born) | 31 अगस्त 1919 |
जन्म स्थान (Birth Place) |
गुजरावाला ,पंजाब (जो देश विभाजन के बाद पाकिस्तान मे) |
मृत्यु (Death) | 31 अक्टूबर 2005 |
पिता (Father’s Name) | करतार सिंह |
माता (Mother’s Name) | राजबीबी |
उपन्यास | एक ते एरियल, दिल दियाँ गालियां, पिंजर आदि |
पेशा (Profession) | लेखिका |
पहली कविता प्रकाशित | 1936 मे अमृतलहरें |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पति (Husband) | प्रीतम सिंह |
विवाह वर्ष | 1997 |
भाषा | हिन्दी , पंजाबी , उर्दू |
धर्म | सिख |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अमृता प्रीतम कौन थीं ? | Who was Amrita Pritam
अमृता प्रीतम ( Amrita Pritam ) पंजाबी और हिंदी भाषा की प्रसिद्ध साहित्यकार थी। अमृता प्रीतम का असल नाम अमृत कौर था । पिता ने 1935 में अमृता का विवाह प्रीतमसिंह से करवा दिया था । और तभी से वे अमृताप्रीतम के नाम से जानी जाने लगी हैं । परंतु सन 1960 में अपने पति को छोड़ कर पति से तलाक ले लिया था । किन्तु ऐसे प्रमाण भी मिले जिनमे लिखा गया की उनके दो बच्चे भी हुए थे।
अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवीयत्री मन जाता है । उनकी सबसे लोकप्रिय आत्मकथा रसीदी टिकटको लोगों ने जी भर के प्यार दिया । अमृता प्रीतम जी को पद्मविभूषण ,साहित्य अकादमी और भारतीय ज्ञानपीठ जैसे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था
अमृता प्रीतम का जन्म और बचपन कैसे गुजरा । Amrita Pritam Biography In Hindi
अमृता जी के पिता करतार सिंह एक सन्यासी संत और कवि थे। उन को हिन्दी , संस्कृत ब्रजभाषा और साहित्य का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने राजबीबी से विवाह किया । वे एक स्कूल मे पढाने आती थी। अमृता प्रीतम के माता पिता का प्रेम विवाह था । बावजूद इसके विवाह के दस वर्ष बाद 31 अगस्त 1919 में गुजरावाला ,पंजाब में अमृता प्रीतम ( Amrita Pritam ) का जन्म हुआ । घर का माहौल शुरू से ही धार्मिक और धर्मशाला जैसा था । संत, कवि और लेखक उनके यहां आया जाया करते थे । अतः अमृता प्रीतम को किताबों और धार्मिक विचारों के बीच बचपन से ही लिखने पढ़ने में रुचि हो गई ।
अमृता जी का बचपन बहुत ही संघर्षों से बीता। उनकी 11 वर्ष की अवस्था मे अचानक माँ की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गयी । और अपनी माँ को बचाने के लिए अमृताप्रीतम ने भगवान से प्रार्थना करी । बहुत प्रार्थना के बाद भी अमृता की माँ दुनियाँ छोड़ कर चली गई । इस बात से अमृता का भरोषा ईश्वर से उठ गया ।
माँ के चले जाने के बाद उनके पिता भी सन्यास मे लीन रहने लगे रात को लेखन साहित्य और दिन मे सोये रहते थे । घर मे किताबों का भंडार जमा हो गया था । अमृता प्रीतम को भी किताबों को पढ़ने के साथ ही अपने अंदर के खाली पान को भरने के लिए कोरे पन्ने पर खुद को उतारने लगी ।
अमृता प्रीतम की शिक्षा । Amrita pritam education
अमृता प्रीतम की प्रारंभिक शिक्षा घर मे ही उनके पिता जी के द्वारा दी गई । बाद मे स्कूल की शिक्षा लाहौर से हुई थी । उन्होंने छोटी उम्र से ही कविता, कहानी और निबंध आदि का लेखन कार्य शुरू कर दिया था। उनकी 70 से अधिक काव्य रचनाए और पुस्तकें प्रकाशित हुई । तथा बाद मे उनके द्वारा लिखी बहुत ही महत्वपूर्ण रचनाएं अपने देश की भाषा और विदेशी भाषाओं मे अनुवाद किया जा चुका है ।
अमृता प्रीतम की शादी | Amrita pritam Marriage
अमृता जी के पिता जी ने किशोर अवस्था मे ही प्रीतम के साथ तह कर दिया था । जो की बाद मे साल 1936 मे अमृता जी की 16 बर्ष की आयु मे प्रीतम सिंह जी से विवाह हो गया । और शादी के बाद से ही उनका नाम अमृताप्रीतम हुआ । कुछ समय के बाद उन्होंने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया । बेटे का नाम नवराज और बेटी का नाम कांधला रखा गया । हालांकि कुछ आपसी मतभेद होने की वजह से साल 1960 मे पति से दूर हो गई और तलाख ले लिया ।
अमृता प्रीतम और शायर साहिर लुधियानवी की कहानी | Amrita Pritam And sahir ludhiyanvi story
अमृता प्रीतम ( Amrita Pritam ) अपनी आत्मकथा(Amrita Pritam Biography In Hindi) ‘रसीदी टिकट ‘में वे स्वयं बताती है कि साहिर लुधियानवी ने उनके दिल और दिमाग मे जैसे अपना घर बना लिया हो सच तो ये है उनको साहिर से इश्क़ हो गया था । वर्ष 1944 मे लाहौर के प्रीतनगर में एक कवि सम्मेलन हुआ था जिसमे साहिर लुधियानवी जी को पहली बार देखा नज़रों से नजरें मिली और पहली नजर का इश्क हो गया ।
वो लिखती हैं ” मुझे नहीं मालूम कि साहिर के लफज़ो की जादूगरी थी या उनकी ख़ामोश नज़र का कमाल था लेकिन कुछ तो था , जिसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया। आज जब उस रात को मुड़ कर देखती हूँ तो ऐसा समझ आता है कि तकदीर ने मेरे दिल में इश्क़ का बीज़ डाला , जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया। “
बात यहाँ तक आ गई थी कि साहिर लुधियानवी जी अक्सर उनके घर आया करते थे और ख़मोशी से सिगरेट पिया करते थे। वे सिगरेट पीकर आधी सिगरेट छोड़ दिया करते थे। अमृता प्रीतम जी अकेले और तन्हा वक्त मे उन सिगरटों को पिया करती थी। जब वे उन सिगरटों को उंगलियों से पकड़ती थी तो उन्हें साहिर जी की उंगलियों का अहसास होता था।
उनके अनुसार यह आग की बात थी, तूने यह बात सुनाई है , यह जिंदगी की वही सिगरेट है जो तूने कभी सुलगायी थी। चिंगारी तूने दी थी, यह दिल सदा जलता रहा। वक्त की कलम पकड़ कर, कोई हिसाब लिखता रहा । जिंदगी का गम नहीं, इस आग को संभाल ले, तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ, कि अब सिगरेट जला ले।
दूसरी तरफ का भी हाल यह था कि अमृता प्रीतम Amrita Pritam जी जब साहिर लुधियानवी के यहां गयी थी । तो साहिर ने चाय का प्याला नहीं धोया था। जूठे प्याले में कई दिनों तकअमृता की यादो को समेटे रखा था । साहिर के मन में भी अमृता प्रीतम के प्रति प्रेम था । साहिर की अधिकतम नज्मे और गीत अमृता प्रीतम से ही गुजरते हुए फिल्मो तक पहुंचे।
साहिर की 1946 मे ‘तल्खियाँ ‘ संग्रह मे अमृता प्रीतम की झलक मिलती है । तभी तो एक बार साहिर अपनी माँ से अमृताप्रीतम की ओर इशारा करते हुए कहते है कि’ ये आपकी बहू बन सकती थी। साहिर ने अमृता प्रीतम को ‘ताजमहल’ की नज्म भेट की .अमृता ने इस नज्म को ता उम्र सहेज कर रखा। इसकी कुछ पंक्तिया निम्न प्रकार से है :
अनगिनत लोगो ने दुनिया में मोहब्बत की है ,
कौन कहता है कि सादिक न थे जज़्बे उनके।
लेकिन उनके लिए शरीर का सामान नहीं ,
क्योकि वो लोग भी अपनी तरह मुफ़लिस थे।
ये चमनजार ये जमना का किनारा ,ये महल ,
ये मुनक़्क़श दरों दीवार ये महराव ये ताक।
एक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर ,
हम गरीबों का उड़ाया है मज़ाक,
मेरे महबूब कही और मिला कर मुझसे।
साहिर का खामोश रहना , धर्म की दीवार और अमृता प्रीतम का शादी शुदा होना शायद उनको एक न कर सका। हालांकि अमृताप्रीतम और साहिर लुधियानवी मन ही मन एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे । और उन्होंने एक दूसरे को दिल ही दिल मे अपना मान लिया था ।
अमृता प्रीतम और इमरोज की कहानी | Amrita Pritam And Imroze Story
कहते है एक रास्ते बंद होते है तो अनेक रास्ते निकल आते है। पति का साथ छूटा , फिर साहिर के रास्ते अलग हो गए। इन सब के बीच अमृता अकेली पड़ गयी थी। जिंदगी का खालीपन अब उनको बेचैन करने लगा था। लेकिन 1958 मे अमृता ने एक चित्रकार सेठी से अपनी किताब “आख़िरी ख़त” का कवर पेज डिजाइन करने की बात कही तभी सेठी ने अमृता को इमरोज़ का reference दिया और कहा कि मुझसे अच्छा डिजाइन इमरोज बना देंगे ।
उनको क्या पता था की भटके हुए मुसाफिर एक दूसरे का पता खुद ही ढूंढ लेंगे । उस समय इमरोज उर्दू की एक पत्रिका ‘शमा’ में कार्यरत थे। दुबले पतले एक उभरते हुए चित्रकार थे। इमरोज ने उनकी किताब का डिजाइन तैयार कर दिया। और इस तरह अमृताप्रीतम और इमरोज की दोस्ती हो गयी। और जीवन के सफर मे साथ चल दिए ।
समय के साथ साथ वे एक दूसरे के दिल के करीब होते गए। उन्होंने यह निश्चित किया कि रोज रोज मिलने से अच्छा है कि क्यों न एक साथ रहा जाये। उस समय वैसे तो लोग इसे गलत मानते थे। लेकिन अमृता और इमरोज ने इसकी परवाह नहीं की। अमृताप्रीतम और इमरोज की यह भारत की पहली जोड़ी मानी जा सकती है। जिसमे वे लिव – इन रिलेशन में रहे।
इमरोज यह अच्छी तरह जानते थे कि अमृता साहिर लुधियानवी को प्यार करती है। इसके बाद भी इमरोज अमृता को मन ही मन चाहने लगे। उनकी मुलाकात रोज होने लगी । अमृता उस कोरे पन्ने की तरह थी जिसमे इमरोज रंग भरने की कोशिश करते थे। इमरोज और अमृता के बारे में उमा त्रिलोक ने एक किताब ‘अमृता एंड इमरोज -ए लव स्टोरी’ में लिखा है कि अमृता की एक आदत थी, वो हर समय कुछ न कुछ लिखती रहती थी।
उनकी उंगुलियां बिना पेन के भी चलती रहती थी। जब इमरोज स्कूटर से अमृता को आकाशवाणी छोड़ने ले जाते थे तो अमृता इमरोज के पीठ पर उँगलियों से लिखा करती थी। इमरोज ने ऐसा महसूस किया कि वो ‘साहिर’ लिखती थी। इसके बावजूद भी इमरोज ने इसका विरोध कभी नहीं किया।
अमृता प्रीतम ने अपनी आखिरी कविता ‘ मै तुम्हे फिर मिलूँगी ‘ इमरोज को समर्पित की – (Amrita Pritam Biography In Hindi)
जीवन के तमाम रंग देखने के बाद 31 Oct’ 2005 में अमृता प्रीतम ने दुनियाँ को अलविदा कह दिया । और अपनी कविताओ , कहानी ,शायरी ,नज़्म, गीतों के माध्यम से प्रेम को एक नई भाषा दे गई ।
अमृता प्रीतम जी के द्वारा लिखी गई प्रमुख रचनायें
- आत्मकथा – अक्षरों के साये में , रसीदी टिकट ।
- संस्मरण – जलते बुझते लोग ,एक थी सारा ,इमरोज के नाम ।
- कहानी संग्रह – सत्रह कहानियों का संग्रह ,सात सौ बीस कदम , 10 प्रतिनिधि कहानियाँ , दो खिड़कियाँ , चूहे और आदमी में फर्क।
- कहानियाँ – जंगल बूटी ,एक कहानी नहीं , शाह की कजरी ,एक जीवी एक स्त्री एक सपना , अंतर्व्यथा (नीचे के कपड़ें) ।
- कविता संग्रह – सुनेहड़े ,लोक पीड़ , मै जमा तू ,लामियां वतन ,कस्तूरी ,कागज ते कैनवस इसके अलावा १८ काव्य संग्रह।
- गद्य कृतियां – औरत एक द्रष्टिकोण ,एक उदास किताब , किरमिची लकीरे , काला गुलाब ,आग दिया लकीरॉ , पत्तियों का गुलाब, सफरनामा ,अपने अपने चार वरे ,केड़ा जिंदगी केड़ा साहित्य ,मुहब्बतनामा ,मेरे काल मुकटसमकाली ,शौक सुरेही ,कड़ी धुप्प दा सफ़र ,अज्ज दे काफ़िर ।
- उपन्यास – पिंजर, पांच बरस लंबी सड़क, अदालत, उन्चास दिन कोरे कागज, सागर की सीपियाँ , आशू , डाक्टर देव, आह्णणा, इक सिनेही, बुलावा, बंद दरवाजा, रंग दा पत्ता, एक सी अनीता , कोई नहीं जानदा, उनहाँ दी कहानी, इह सच, दूसरी मंज़िल, तेरहवाँ सूरज, चक्क नंबर छत्ती, दिल्ली दिया गलियाँ, एक ते एरियल, जलावतन, यात्री, जेबकतरा, आग दा बूटा, पक्की हवेली, आग दी लकीर, कच्ची सड़क, हरदत्त का जिंदगीनामा आदि ।
अमृता प्रीतम के प्रमुख सम्मान और पुरस्कार
सन 1956 में “सुनेहड़े” के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा 1958 मे पुरस्कृत किया गया। 1969 में पद्मश्री, 1982 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सन 1988 में बल्गारिया में वैरोव अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित किया गया। इसके बाद उनको भारत का द्वितीय पुरस्कार पद्मविभूषण से भी अलंकृत किया गया ।
सन 1986 से 1992 तक राज्यसभा की मेम्बर रही । उनकी किताबों की मांग कई भाषा में अपने देश तथा विदेशों में होती थी । फ्रांस जर्मनी, इंग्लैंड, सोवियत रूस, नार्वे बुल्गारिया चेकोस्लोवाक़िया, हंगरी और मॉरिशस देशों के लोगो ने उन्हें सम्मानित किया । विश्वभारती,शांतिनिकेतन, पंजाब,दिल्ली और जबलपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डी लिड’ की उपाधि से विभूषित किया गया ।
FAQs – Amrita-Pritam-Biography-In-Hindi
Q.अमृता प्रीतम का जन्म कहां हुआ था?
Ans: गुजरावाला ,पंजाब (जो देश विभाजन के बाद पाकिस्तान मे)
Q. अमृता प्रीतम कौन है ?
Ans: लेखिका ।
Q. अमृता प्रीतम का जन्म कब हुआ था?
Ans: 31 अगस्त 1919।
Q. अमृता प्रीतम की मृत्यु कब हुई ?
Ans: 31 अक्टूबर 2005 ।
Q. अमृता प्रीतम age ?
Ans: 86 बर्ष ।
Q. अमृता प्रीतम के पति का नाम क्या है?
Ans: प्रीतम सिंह ।
Q. अमृता प्रीतम की पहली कविता कब पब्लिश हुई ?
Ans: 16 बर्ष की उम्र मे , सं 1936 मे अमृत लहरें ।
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Conclusion- Amrita Pritam Biography In Hindi
मुझे पूरी उम्मीद है की आपको मेरे द्वारा यह लेख “Amrita pritam Biography In Hindi” पसंद आया होगा। मेरी हमेशा से यही कोशिश है की पाठकों को Amrita pritam Biography In Hindi के विषय में पूरी जानकारी प्रदान कर सकें । जिससे आपको किसी दुसरे sites या Internet में कहीं और खोजने की जरुरत ही नहीं है । इससे आपके समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में सभी Information भी मिल जायेंगी ।
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