- जे.k.raज
“ आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? कोई ऐरा-गैरा आएगा ले जाने मुझको, अपने हाथों से डोली में बिठाओगे तो कैसे ?
तुम तो एकरार-ए-मुहब्बत भी खुल कर ना कर सके, अपने घर वालों को मेरा बताओगे तो कैसे ? आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”
“ मैं जानती थी मुकद्दर मे नहीं मेरे खुशियां, अब फूलों को बालों मे सजाउगी तो कैसे ? तेरी चाहत और यादों से भरा है मेरा दिल, नए हमसफर को दिन मे बसाउगी तो कैसे ?
पलकों को नम रहने की आदत सी हो गई है, काजल को आँखों मे लगाउगी तो कैसे ? आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”
“ कुछ सिसकियाँ सी मन मे उभर रहीं हैं, पछतावे की आग को बुझाउगा तो कैसे ? तुम्हारी शादी पर बुलाया है मुझको, ये गालियां ये चौबारे सजाउगा तो कैसे ?
अब गुजरेगा दिन रात तेरी यादों मे , अपने दिल से यादों को मिटाउगा तो कैसे ?
“ न किश्ती डूबी न तो किनारे लगी , तूफ़ानी जिंदगी से लहरें बचाएंगे तो कैसे ? जो एक दूसरे के बिन रहते ना थे कभी , नक्श यादों के दिल से मिटाएगे तो कैसे ?
मुहब्बत मिटी है ना मिटेगी कभी , किसी और के लिए जगह बनाओगे तो कैसे ? आज शादी की बात हुई है उस लड़की के घर मे , उन दोनों की मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”