- जे.k.raज
“ आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ?
लड़की लड़के से कहती है –
कोई ऐरा-गैरा आएगा ले जाने मुझको, अपने हाथों से डोली में बिठाओगे तो कैसे ?
लड़की लड़के से कहती है –
तुम तो एकरार-ए-मुहब्बत भी खुल कर ना कर सके, अपने घर वालों को मेरा बताओगे तो कैसे ?
लड़की लड़के से कहती है –
आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”
लड़की लड़के से कहती है –
“ मैं जानती थी मुकद्दर मे नहीं मेरे खुशियां, अब फूलों को बालों मे सजाउगी तो कैसे ?
कुछ दिन बाद फिर लड़की लड़के से कहती है –
तेरी चाहत और यादों से भरा है मेरा दिल, नए हमसफर को दिन मे बसाउगी तो कैसे ?
लड़की लड़के से कहती है –
पलकों को नम रहने की आदत सी हो गई है, काजल को आँखों मे लगाउगी तो कैसे ? आज शादी की बात हुई है घर मे, हमारी मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”
लड़की लड़के से कहती है –
“ कुछ सिसकियाँ सी मन मे उभर रहीं हैं, पछतावे की आग को बुझाउगा तो कैसे ?
अब वो जनाब फरमाते हैं। –
तुम्हारी शादी पर बुलाया है मुझको, ये गालियां ये चौबारे सजाउगा तो कैसे ? अब गुजरेगा दिन रात तेरी यादों मे , अपने दिल से यादों को मिटाउगा तो कैसे ?
अब वो जनाब फरमाते हैं। –
“ न किश्ती डूबी न तो किनारे लगी , तूफ़ानी जिंदगी से लहरें बचाएंगे तो कैसे ? जो एक दूसरे के बिन रहते ना थे कभी , नक्श यादों के दिल से मिटाएगे तो कैसे ?
अब इन्ही सब बातों पे मैं कहता हूँ कि -
मुहब्बत मिटी है ना मिटेगी कभी , किसी और के लिए जगह बनाओगे तो कैसे ? आज शादी की बात हुई है उस लड़की के घर मे , उन दोनों की मुहब्बत को छुपाओगे तो कैसे ? ”
अब इन्ही सब बातों पे मैं कहता हूँ कि -