- जे.k.raज
- जे.k.raज
तुम ये गर्दन को तिरछा कर के अपने बाल कांधों पर लाती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
कभी मुझको झूठा गुस्सा दिखा के छुप छुप के मुस्कुराती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
कंगन कलाई पर घुमाते हुए जब आईने के आगे रुक जाती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
मुझसे नज़र कम ही मिलाती हो मगर जब मिलाती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
मेरा नाम लिए बिना आंखे बंद कर जब मुझे ही गुनगुनाती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
चेहरे पर हाथ रख मेरे ही बारे में जब सहेली को बताती हो न सब समझता हूँ मैं
- जे.k.raज
रोज़ अलविदा कह कर मुझसे तुम जो चुपके से ख्वाब में आती हो न सब समझता हूँ मैं…