यूँही दूरियों मे गुजर गई जिंदगी कभी वो जुदा, कभी मैं जुदा
इन चाहतों के मोड पर कभी वो रुकी, कभी मैं रुका
वही रास्ते वही मंजिलें ना उसे खबर ना मुझे पता
अपनी अपनी अन्हा (ego) की आग मे कभी वो जली, कभी मैं जला
ये कुदरतों का अजीब खेल था ना वो मुझे मिली, ना मैं उसे मिला
ना वो बेवफा, ना मैं बेवफा या खुदा ये कैसा इंसाफ हुआ ना वो मुझे मिली, ना मैं उसे मिला