तेरे बाद भी मुझको तेरी ही आदत होगी ये मुसीबत भी मेरे सर पे मुसल्लत होगी
देखता हूँ बच्चों को तो मुझे दुख होता है आखिर एक रोज , इनको भी मुहब्बत होगी
सिर्फ टूट हुआ होता तो मुमकिन था इलाज मर चुके दिल की भला कैसे मरहम्मत होगी
मैं तुझे छोड़ के दुनियाँ से चल जाऊंगा फिर देखना तुझको अपने आप से भी नफरत होगी
सोचता हूँ उसको किसी और के साथ जब खुश देखूँगा उस रोज़ मुझको कितनी तकलीफ होगी
तेरे बाद भी मुझको तेरी ही आदत होगी ये मुसीबत भी मेरे सर पे मुसल्लत होगी