बाते बेहिसाब बताना, कुछ कहते कहते चुप हो जाना, उसे जताना, उसे सुनाना, वो कहता है उसे पसंद है,
ये निगाहें खुला महखाना है, वो कहता है, दरबान बिठा लो, हल्का सा वो कहता है, तुम काजल लगा लो,
वेसे ये मेरा शौक नही, पर हाँ, उसे पसंद है,
दुपट्टा एक तरफ ही डाला है, उसने कहा था की सूट सादा ही पहन लो, बेशक़ तुम्हारी तो सूरत से उजाला है,
तुम्हारे होठों के पास जो तिल काला है, बताया था उसने, उसे पसंद है, वो मिलता है, तो हस देती हूं,
चलते चलते हाथ थाम कर उससे बेपरवाह सब कहती हूं, और सोहबत मैं उसकी जब चलती है हवाएं, मैं हवाओं सी मद्धम बहती हूं,
मन्नत पढ़ कर नदी मैं पत्थर फेंकना, मेरा जाते जाते यू मुड़ कर देखना , ओर वो गुज़रे जब इन गलियों से , मेरा खिड़की से छत से छूप कर देखना, हां उसे पसंद है
झुल्फों को खुला ही रख लेती हूं, उसके कुल्हड़ से चाय चख लेती हूं, मैं मंदिर मे सर जब ढक लेती हूं, वो कहता है उसे पसंद है,